मोदी युग में संघवाद: समावेषी विकास का उभरता स्वरूप

Authors

  • डाॅ. सिद्धार्थ राव and डाॅ. भावना Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/h86egb35

Abstract

भारत के विषाल आकार, विविध भौगोलिक परिस्थितियों तथा ऐतिहासिक बाध्यताओं के कारण संविधान निर्माताओं ने भारत को संघात्मक स्वरूप प्रदान किया। संघीय ढांचे के अन्तर्गत केन्द्र व राज्य सरकारों के मध्य शक्तियों का विभाजन होता है तद्नुरूप आपसी सम्बन्धों का भी निर्धारण होता है। भारत में संसदात्मक शासन एवं बहुदलीय प्रणाली ने भी संघवाद को अनेक रूपों में प्रभावित किया है। स्वाधीनता प्राप्ति से लेकर अब तक संघवाद के अनेक प्रतिमान सामने आए हैं जिन्हें सहयोगी, एकात्मक या सौदेबाजी वाले संघवाद के रूप में समझा जा सकता है। 21वीं सदी में विषेषतः 2014 से 2024 तक का समय जिसे हम मोदी युग भी कह सकते हैं, संघवाद की दृष्टि से राष्ट्र को एक नई दिषा की ओर लेकर गया जिससे राष्ट्र में संघवाद के समावेषी विकास का स्वरूप उभरकर सामने आया है। इसने देष के लोकतांत्रिक संघवाद को ओर अधिक परिपक्व और मजबूत किया है। आज भारत के सभी राज्यों में समान रूप से विकास को बढ़ावा मिल रहा है, कष्मीर से कन्याकुमारी और श्रीगंगानगर से ईटानगर तक इसकी झलक साफ देखी जा सकती है। आज पूरे देष में मोदी सरकार द्वारा लाई गई विभिन्न केन्द्रीकृत योजनाओं ने देष के सभी क्षेत्रों व राज्यों में समानता पर आधारित विकास को आगे बढ़ाया है। जिसके कारण आज केन्द्र-राज्य सम्बन्धों में सहयोग, सहकारिता एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को मजबूती मिल रही है जो कि देष में समावेषी विकास पर आधारित संघवाद की दिषा की ओर महत्त्वपूर्ण कदम है। प्रस्तुत शोध पत्र में मोदी सरकार (2014-2024) के शासनकाल के दौरान भारतीय संघवादी व्यवस्था में समावेषी विकास के उभरते स्वरूप का विष्लेषणात्मक अध्ययन करने का एक प्रयास किया गया है। 

 

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1990-2024

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Articles

How to Cite

मोदी युग में संघवाद: समावेषी विकास का उभरता स्वरूप. (2025). MSW Management Journal, 35(1), 32-40. https://doi.org/10.7492/h86egb35